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पानीपत15 घंटे पहले
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प्रतीकात्मक चित्र।
हरियाणा के पानीपत शहर में तहसील अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके फर्जीवाड़ा करते हुए एक व्यक्ति की 50 गज जमीन गलत तरीके से बेचने का मामला सामने आया है। पीड़ित ने जमीन के खरीदार, दोनों गवाहों, तत्कालीन पटवारी व तहसीलदार के खिलाफ पुलिस को लिखित शिकायत दी है। मामले की जांच डीएसपी स्तर के अधिकारी ने की। जांच के बाद डीएसपी से मंजूरी मिलने के बाद आरोपियों के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 120बी के तहत केस दर्ज किया गया है।
1993 में ली थी पीड़ित ने जमीन
एसपी को दी शिकायत में सैनी कॉलोनी बबैल रोड निवासी 45 वर्षीय रोहताश ने बताया कि उसने वर्ष 1993 में 201 वर्ग गज का एक प्लॉट पट्टी मखदून जगदान में बलदेव सिंह से 40 हजार रुपए में खरीदा था, जिसकी रजिस्टरी, जमाबंदी व इंतकाल उसके नाम है। प्लॉट का साइज 52 गुणा 34 है, जिसके दो तरफ 20 फुट गली व पीछे की ओर एक फैक्टरी व सामने एक मकान है। वर्ष 2004 में उसने इस प्लॉट पर मकान बनाने के लिए बैंक से 4.50 लाख रुपए का लोन भी लिया व कमेटी से नक्शा पास करवाकर मकान बनाया। पिछले साल 28 सितंबर को उसने मकान का लोन पूरा चुकता करते हुए 8 दिसम्बर को बैंक से एनओसी ले ली।
पटवारी ने दस्तावेज मंगवाए तो हुआ खुलासा
जब वह एनओसी लेकर लोन उतरवाने के लिए गया तो पटवारी ने उससे 2015-16 की जमाबंदी मंगवाई। जमाबंदी देखने के बाद राजस्व अधिकारी ने उसे बताया कि उसके नाम केवल 150 वर्ग गज जगह है व 50 वर्ग गज जगह उसने बेच दी है। यह सुनकर उसे हैरानी हुई और अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी।
जांच में उसने एक रजिस्टरी निकलवाई, जिसमें विक्रेता के तौर पर कोई फर्जी व्यक्ति खड़ा था और जमीन का क्रेता सैनी कालोनी निवासी अनिल दिखाया गया है। सैनी कालोनी निवासी एक अन्य शख्स अनिल व नम्बदार धर्मपाल बिचपड़ी के बतौर गवाह हस्ताक्षर हैं। उक्त रजिस्टरी तत्कालीन तहसीलदार व पटवारी की मिलीभगत से 7 अक्तूबर, 2010 को की गई है।
डीएसपी की जांच के बाद हुआ आरोपियों पर केस दर्ज
मामले की शिकायत देते हुए गुहार लगाई है कि जांच करके आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए व उसकी जमीन वापस दिलवाई जाए। मामले की शुरुआती जांच उप निरीक्षक यशपाल द्वारा की गई, जिसमें शिकायकर्ता के साथ-साथ दूसरे पक्ष के क्रेता अनिल कुमार, गवाह नम्बरदार धर्मपाल, गवाह अनिल सैनी, तत्कालीन पटवारी इरफान, वसीका नवीस तसबीर सिंह कुंडी को शामिल किया गया व उनके बयान दर्ज हुए। करीब तीन माह तक चली जांच के बाद उप पुलिस अधीक्षक द्वारा सौंपी रिपोर्ट में केस दर्ज करने बारे संतुति की गई।
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