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झज्जर2 घंटे पहले
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बहादुरगढ़ से झज्जर जांच में सहयोग देने के लिए पहुंचे जमीदार।
- कस्टोडियन विभाग की 65 करोड़ रुपए से अधिक की जमीन की फर्जी दस्तावेजों पर रजिस्ट्री व इंतकाल करने का मामला
बहादुरगढ़ के खेड़का मुसलमान गांव में मौजूद कस्टोडियन विभाग की 65 करोड रुपए से अधिक की जमीन के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। एसीएस एवं वित्त आयुक्त राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग को शिकायत कर मामले की जांच कराने की अर्जी देने वाले बहादुरगढ़ के तत्कालीन तहसीलदार कनब लाकड़ा दूसरी बार भी जांच कमेटी के समक्ष पेश नहीं हो सके। उनकी ओर से फिर से हाजिरी माफी की अर्जी दी गई। जांच कमेटी ने उन्हें जांच में शामिल होने का समय दिया। जांच के लिए शुक्रवार को प्रशासनिक अफसरों व शिकायतकर्ता भाग दौड़ रही।
कमेटी के चेयरमैन एडीसी जगनिवास, खाचरौली में सिंचाई एवं जल संसाधन संसाधन विभाग के एसीएस देवेंद्र सिंह के विशेष कार्यक्रम को छोड़कर जांच के लिए अपने कार्यालय पहुंचे। बादली के एसडीएम विशाल कुमार एवं जिला राजस्व अधिकारी प्रमोद चहल कमेटी के सदस्य हैं। एसडीएम विशाल कुमार बादली में कोर्ट केसों की सुनवाई बीच में छोड़कर झज्जर पहुंचे। इस बीच लोगों ने इस पर आपत्ति भी जताई। लेकिन जांच कमेटी के सदस्य होने के कारण उनको समय रहते झज्जर पहुंचना आवश्यक था।
जांच कमेटी दो घंटे करती रही इंतजार तत्कालीन तहसीलदार नहीं पहुंचे
जिला राजस्व अधिकारी प्रमोद चहल ने भी अपने कार्यालय में फरियाद लेकर आए लोगों की बजाए निर्धारित समय पर पहुंच गए। कस्टोडियन विभाग का चार्ज नायब तहसीलदार जितेंद्र कुमार को सौंपा गया है। उनका आज रजिस्ट्री पंजीकरण का दिन था। इस लिहाज वे अपने रूटीन कामों को छोड़कर जांच कमेटी को सहयोग देने के लिए निर्धारित 3 बजे एडीसी कार्यालय पहुंचे।
इनका स्टाफ भी मौजूद रहा। वहीं दूसरी ओर मामले में शिकायतकर्ता सुरेश जून, धीरज व मुकेश अपनी लिखित शिकायत लेकर भीषण गर्मी में बहादुरगढ़ से जांच कमेटी के समक्ष पेश हुए। लेकिन मामले में शिकायतकर्ता तत्कालीन तहसीलदार कनब लाकड़ा पेश नहीं हुए। उनकी ओर से फिर से हाजिरी माफी की रिक्वेस्ट भेजी गई। बताया गया कि चीफ सैक्ट्री की किसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के कारण वे जांच कमेटी के समक्ष आने में असमर्थ रहे।
7 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपनी होगी
मौजूदा जांच के शिकायतकर्ता एवं बहादुरगढ़ के जिस तत्कालीन तहसीलदार कनब लाकड़ा का बहादुरगढ़ सदर में दर्ज 13 नंबर एफआईआर में उल्लेख किया हुआ है। उनकी ओर से ही कस्टोडियन विभाग की जमीन के फर्जी दस्तावेजों को सही मानकर उनका 20 साल के बाद इंतकाल दर्ज करने के अलावा इनका आगे पंजीकरण करने यानी रजिस्ट्री करना। जमीन संबंधी मामलों में तक्सीम के दावों की सुनवाई करने की कार्रवाई की गई थी। ये तीनों अहम प्रक्रिया कनब लाकड़ा के बहादुरगढ़ में बतौर तहसीलदार रहते हुए कुछ अल्प समय में ही हुई। इसी बीच कस्टोडियन विभाग के रिकॉर्ड को भी जला दिया गया।
जहां पर बहादुरगढ़ की इस जमीन का रिकॉर्ड भी रखा हुआ था। हैरान करने वाली बात यह है कि वारदात को कई महीने बीत जाने के बाद पुलिस की जांच की गति धीमी बनी हुई है वहीं इस बीच बहादुरगढ़ में दर्ज एफआईआर पर पुलिस जांच पर सवाल उठाने वाले तत्कालीन तहसीलदार की अतिरिक्त मुख्य सचिव एवं वित्त आयुक्त राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग को 17 मार्च को भेजी गई चिट्ठी पर तुरंत जांच के आदेश हुए, 7 दिन के भीतर मामले की जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए।
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