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A man walks past presidential campaign posters of french president Emmanuel Macron and presidential candidate Marine Le Pen in Anglet, France.
पर्टुइस: फ्रांस की सियासत में हिजाब को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। देश में शुक्रवार को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव अभियान में मुस्लिमों का हिजाब केंद्रीय मुद्दा बनकर उभरा है। दक्षिणपंथी उम्मीदवार मरिन ले पेन ने देश में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया है, जहां पश्चिमी यूरोप की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी रहती है। ले पेन और उनके प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार एमैनुएल मैक्रों के बीच 24 अप्रैल को होने वाले चुनाव में कड़ा मुकाबला है।
मैक्रों धार्मिक परिधानों पर रोक नहीं लगाएंगे
हालांकि, इन दोनों नेताओं को हिजाब लगाने वाली महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने इन दोनों से पूछा है कि उनकी परिधान संबंधी पसंद को राजनीति का मुद्दा क्यों बनाया जाना चाहिये। मैक्रों धार्मिक परिधानों पर रोक नहीं लगाएंगे, लेकिन उन्होंने कई मस्जिदों को बंद कराने और इस्लामिक समूहों पर निगरानी रखने का काम किया है। बहुत से मुस्लिमों को लगता है कि राष्ट्रपति पद को लेकर चुनाव अभियान अनुचित रूप से उनकी आस्था को कलंकित कर रहा है।
‘बुर्का मेरे लिए दादी मां बनने का संकेत है’
दक्षिणी कस्बे पर्टुइस के एक किसान बजार में सिर ढके हुए एक महिला ले पेन के पास पहुंची और उनसे पूछा, राजनीति में हिजाब क्या कर रहा है? इसके जवाब में पेन ने कहा कि हिजाब एक ऐसा परिधान है, जिसे इस्लाम के कट्टर विचारधारा वाले लोगों द्वारा थोपा गया है। इस पर इस महिला ने कहा, ‘यह सच नहीं है। मैंने बुर्का पहनना तब शुरू किया जब मैं एक बूढ़ी महिला बन चुकी थी। मेरे लिए यह दादी मां बनने का एक संकेत है।’
जानें, मैक्रों ने हिजाब पर क्या कहा
बुर्के का समर्थन करने वाली महिला ने बताया कि उसके पिता ने फ्रांसीसी सेना में 15 साल तक काम किया है। मैक्रों ने ले पेन से खुद को अलग करते हुए कहा कि वह किसी नियम में कोई बदलाव नहीं करेंगे, लेकिन स्कूलों में हिजाब पर मौजूदा प्रतिबंध का उन्होंने फ्रांस के धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का हवाला देकर बचाव किया।
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