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रोहतक3 घंटे पहले
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हर वर्ष चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 16 अप्रैल शनिवार को चैत्र पूर्णिमा है। इससे 6 दिन पहले चैत्र नवरात्र की नवमी तिथि को श्रीराम जन्मोत्सव यानी रामनवमी मनाई जाती है। भगवान विष्णु को रामावतार के समय सहयोग करने के लिए रुद्रावतार हनुमान का जन्म हुआ था। सीता खोज, रावण युद्ध, लंका विजय में हनुमान जी ने प्रभु श्रीराम की मदद की। उनके जन्म का उद्देश्य ही राम भक्ति था।
हनुमानजी के जन्मदिन को हनुमत जयंती और हनुमान व्रतम् नामों से भी जाना जाता है। चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से रामभक्त हनुमान की पूजा करने का विधान है। हनुमान जयंती की तिथियां अलग-अलग हैं, उसी आधार पर सालभर में अगल-अलग तिथियों को हनुमान जयंती मनाई जाती है। चैत्र पूर्णिमा की हनुमान जयंती की अत्यधिक मान्यता है। पं. संदीप पाठक ने बताया कि उद्या तिथि के कारण इस साल 16 अप्रैल को दिनभर पूर्णिमा है, इसलिए हनुमान जयंती 16 को ही मनाई जाएगी।
बजरंगबली को चढ़ाएं लाल रंग का चोला
श्री रामजानकी तपोवन मंदिर के महंत ओमप्रकाश शरणा और श्रीमहावीर-शिव मंदिर डोरंडा के पुजारी आशुतोष मिश्रा ने बताया कि हनुमान जयंती पर बजरंगबली को लाल रंग का चोला चढ़ाया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि राशि के अनुसार बजरंगबली को भोग लगाया जाए, तो वह विशेष फलदायी होता है। मेष राशिवालों को बेसन के लड्डू, वृष राशि वालों को तुलसी के बीज, मिथुन राशि तुलसी दल, कर्क राशि घी-बेसन का हलवा, सिंह राशि शुद्ध घी में बनी जलेबी का भोग हनुमानजी को लगाएं।
कन्या राशि के भक्त चांदी अर्क की प्रतिमा पर लगाएं, तुला राशि वाले मोतीचूर के लड्डू और धनु राशि के भक्त मोतीचूर के लड्डू के साथ तुलसी दल मिलाकर भोग लगाएं। मकर राशि के भक्त मोतीचूर के लड्डू, कुंभ राशि बजरंगबली की प्रतिमा पर सिंदूर का लेप लगाना चाहिए और मीन राशि के भक्तों को लौंग चढ़ाना चाहिए।
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