हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
पहली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी जिसे संकष्टी गणेश चतुर्थी कहते हैं वहीं दूसरी शुक्ल पक्ष की संकष्टी जिसे वैनायकी गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
पंचांग के अनुसार, वैशाख के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी का काफी अधिक महत्व होता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने का विधान है।
इस बार संकष्टी गणेश चतुर्थी का व्रत 19 अप्रैल, मंगलवार को रखा जाएगा। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे अंगारकी गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाएगा।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ - 19 अप्रैल मंगलवार को शाम 04 बजकर 38 मिनट से शुरूचतुर्थी तिथि समाप्त- 20 अप्रैल बुधवार को दोपहर 01 बजकर 54 मिनट तक
चंद्रोदय का समय- 19 अप्रैल को रात 09 बजकर 50 मिनट परअभिजीत मुहूर्त: सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक।
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे कपड़े पहन लें। आप चाहे तो लाल रंग के कपड़े पहन सकते हैं।
इसके बाद भगवान गणेश की पूजा आरंभ करें। इसके लिए एक चौकी में लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर लें।
इसके बाद सबसे पहले फूल की मदद से जल अर्पित कर शुद्धिकरण कर लें। इसके बाद भगवान को फूल और माला चढ़ाएं। इसके बाद दूर्वा चढ़ा दें और फिर रोली लगा दें।
इसके बाद भगवान को भोग में लड्डू या फिर मोदक खिलाएं और थोड़ा सा जल अर्पित कर दें।
इसके बाद घी का दीपक, धूप जलाकर गणेश चालीसा का पाठ करें और इसके बाद इस मंत्र का जाप करें-